''आवारा कलम से.... ''
- 5 Posts
- 5 Comments
जनाब मुझसे मेरा हुनर तो ना छीनो,
मेरे हाथो से कलम तो ना छीनो !
चाहो तो मेरा आखिरी कतरा-ए-लहू तक लेलो ,
पर मुझसे मेरे ये ग़म तो ना छीनो!
मेरे हाथो से कलम तो ना छीनो !
बाँट तो चुके हो ज़मीन को कई हिस्सों में ,
अब मेरे सर से फ़लक तो ना छीनो !
मेरे हाथो से कलम तो ना छीनो !
ये और बात है की ”नितीश” सजदे नही करता ,
फिर भी तुम उससे दैरोहरम तो न छीनो!!
मेरे हाथो से कलम तो ना छीनो !
भले मेरी गुफ्तार ,मेरी शिफत न हो ,
पर मेरा लहजा-ऐ-गुफ्तगू तो न छीनो !!
मेरे हाथो से कलम तो ना छीनो !
Read Comments